सियासत | बड़ा आर्टिकल
उद्धव ठाकरे के 'इमोशनल अत्याचार' से तो शिवसेना नहीं संभलने वाली!
शिवसेना (Shiv Sena) को फिर से खड़ा कर पाना बड़ा ही मुश्किल टास्क है. मालूम नहीं क्यों उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) भूल जाते हैं कि जमाना अब एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का है - कितना भी इमोशनल अत्याचार कर लें, किसी पर कोई असर नहीं होने वाला है.
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एकनाथ शिंदे का हश्र राज ठाकरे और नारायण राणे जैसा तो नहीं हो जाएगा!
एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. बढ़ना भी चाहिये, लेकिन एक बार ध्यान इस बात पर भी देना चाहिये कि राज ठाकरे (Raj Thackeray) और नारायण राणे (Narayan Rane) का शिवसेना छोड़ने के बाद क्या हाल हुआ - कैसे कदम कदम पर संघर्ष करने पड़े?
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उद्धव ठाकरे के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी से ज्यादा जरूरी शिवसेना को टूटने से बचाना है
उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सभी शिवसेना विधायकों को बातचीत के लिए बुलाया है. बागियों के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को भी. शिवसेना (Shiv Sena) नेतृत्व के सामने 31 साल बाद दोबारा चुनौती पेश की गयी है - और ये पहले के मुकाबले काफी बड़ा चैलेंज है.
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शरद पवार को नवनीत राणा केस में उद्धव सरकार का रुख कंगना रनौत जैसा क्यों लगता है?
शरद पवार (Sharad Pawar) का आईपीसी की धारा 124 A के खिलाफ खड़ा होना, नवनीत राणा (Navneet Rana) के खिलाफ इसके इस्तेमाल पर भी सवाल खड़े करता है - और एनसीपी नेता के इस स्टैंड के दायरे में सीधे सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) भी आ जाते हैं.
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नवाब मलिक केस में संयोग और प्रयोग क्या है - यूपी चुनाव या महाराष्ट्र पॉलिटिक्स?
नवाब मलिक की गिरफ्तारी (Nawab Malik Arrest) को शिवसेना ने यूपी चुनाव (UP Election 2022) की वोटिंग से जोड़ दिया है और 2024 के बाद बदला लेने की बात की है - क्या महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में विचारधारा पर निजी दुश्मनी भारी पड़ने लगी है?
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